Aligarh
स्कूलों में नहीं मिल रहा मिड- डे -मील, हजारों बच्चे खाली पेट पढ़ने को मजबूर: 30,000 से अधिक बच्चों को नहीं मिला मिड डे का खाना।
अलीगढ़। कभी दाल, कभी दलिया और कभी रोटी, लेकिन पिछले 2 दिन से खाने के लिए कुछ भी नहीं आया है.आज हम अपने घर से खाना लेकर भी नहीं आए हैं, हमने सोचा था स्कूल में मिड डे मील मिलेगा, लेकिन मिड डे मील आज भी नहीं आया है. जिसकी वजह से हम सभी बच्चें भूखे हैं.
एक स्कूल की महिला शिक्षक भावना कुमारी ने बताया जिला अधिकारी महोदय का आदेश है, कि विद्यालय परिसर में ही मिड-डे-मील बनना चाहिए. पहले हमारे यहां पर एनजीओ से बनकर मिड-डे-मील आता था, लेकिन अब हमारे विद्यालय में इतनी व्यवस्था नहीं है कि मिड-डे-मील यहां पर बना सके और यहां पर मिड-डे-मील बनाने के लिए महिलाओं को रख सके. इसके अलावा चंपादेवी अग्रवाल इंटर कॉलेज अचल ताल पर स्थित है. यहां पर बंदरों का भी काफी आतंक रहता है. हमारे यहां विद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या भी बहुत ज्यादा है, जिसके कारण हम लोग यह कार्य करने में असमर्थ हैं. मिड -डे मील बनाने के लिए फाइनेंसियल भी परेशानी है. जितनी छात्र-छात्राओं की संख्या है उसके अनुपात में राशि पर्याप्त नहीं हो पाती. कल से बच्चों को मिड-डे-मील नहीं मिला है. आज भी मिड डे मील आने की संभावना नहीं लग रही है. जो छोटे बच्चे हैं वह लंच लेकर नहीं आते, जिसकी वजह से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हम भी चाहते हैं इस समस्या का जल्द से जल्द निवारण हो।
वहीं इस मामले में प्रधानाचार्य परिषद के अध्यक्ष अनूप शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया है कि मिड -डे मील को लेकर हम भी बहुत परेशान हैं. ₹1000 का रसोईया 12 सौ बच्चों को 2 घंटे में रोटी कैसे तैयार करेगा, हम पूरे स्टाफ को सब्जी लाना खाना बनाना फिर खाना बटवाना इसी में जोड़ देंगे तो पढ़ाई कैसे होगी. रहा सवाल दूसरा हमारे विद्यालय में स्थान भी काफी कम है और बंदरों का भी आतंक है, कल से खाना बंद हुआ है आज दूसरा दिन है, हम लोगों ने अपनी जेब से बिस्किट मंगाकर बच्चों को खिला दिए हैं, खाना ना मिलने की कारण जिले भर के लगभग 30000 बच्चे प्रभावित हो रहे हैं.
DM डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने बताया अलीगढ़ जनपद में जो शहरी क्षेत्र है उनमें हम लोग एनजीओ और प्राइवेट पर्सन के माध्यम से मिड डे मील बटवा रहे थे. इनको जो पॉलिसी है उसके तहत भोजन तैयार करने में एक रूपया प्रति बच्चा मिलता हैं जानकारी हुई कुछ दिनों में बच्चों ने उस खाने की गुणवत्ता सही न होने की वजह से बच्चों के अंदर खाना खाने के प्रति रुचि पैदा नहीं हो रही थी. इस बात को लेकर बहुत ज्यादा शिकायतें है, तो खाने को छोड़ना पड़ा. जिसके बाद हम लोगों ने कोशिश की, कि जहां एक जगह पर खाना बन रहा है तो निश्चित तौर पर बच्चों को खाना ठीक नहीं मिलेगा. इस नजरिए से जिन विद्यालयों में व्यवस्था हो सकती थी जहां पर जगह थी, सारे संसाधन थे, उन प्राइमरी विद्यालयों में उनका वहीं पर अकाउंट खुलवा कर भोजन बनाने की व्यवस्था की है. इस पहलू में एक थोड़ा सा दिक्कत यह है कि माध्यमिक स्कूल है वहां कहीं बच्चे बहुत ज्यादा है, कहीं पर स्टाफ की कमी है और भोजन बनाने की व्यवस्था में भी दिक्कत है, उनमें व्यवस्था को कंटिन्यू रखा गया. कोशिश की जा रही है उनका कोई एक रास्ता निकाला जाए, ताकि बच्चों को बेहतर भोजन मिल सके.
बाइट- प्रिया, छात्रा
बाइट- भावना कुमारी महिला शिक्षक
बाइट- इंद्रविक्रम सिंह -डीएम
संवादाता फैजान अहमद खान
11/18/2022 04:40 AM


















