Aligarh
कांग्रेसियों ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को असंवैधानिक घोषित करने के विरोध में राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन ।:
अलीगढ़। कांग्रेसियों ने जिला अधिकारी को राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा जिसमें ज्ञापन के माध्यम से बताया कि अल्पसंख्यक आयोग ऐक्ट (1992) और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को असंवैधनिक घोषित करने की मांग वाली याचिका का स्वीकार किया जाना अघोषित तौर पर संविधान समीक्षा की कोशिश है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अल्पसंख्यक विरोधी एजेंडा वाली याचिका जिसमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिनियम (1992) और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गयी थी. जो स्वीकार कर लिया जाना अल्पसंख्यक समुदायों को मिले संवैधानिक अधिकारों और सुरक्षा को छीनने की कोशिश समान हैं, न्यायपालिका का एक हिस्सा आरएसएस से जुड़े लोगों द्वारा दायर प्रॉक्सी याचिकाएं स्वीकार कर सरकार के एजेंडा को कानूनी आवरण पहनाने की कोशिश कर रहा है. यह एक तरह से बिना घोषणा के संविधान समीक्षा करने जैसा है। एनजीओ विनियोग परिवार ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका में दिए गए दोनों तर्क, 1- राज्य का यह कर्तव्य नहीं है कि वह अल्पसंख्यक समुदायों की किसी भाषा, लिपि, या संस्कृति को प्रोत्साहित करे संविधान के खिलाफ है। यद्यपि हमारा संविधान अल्पसंख्यक को परिभाषित नहीं करता लेकिन वो अल्पसंख्यकों के अधिकारों को मौलिक अधिकारों के तहत सुरक्षा देता है. मौलिक अधिकारों का पार्ट 2, भारतीय राज्य को निर्देशित करता है कि वह उन अधिकारों को लेकर वचनबद्ध है और वह न्यायपालिका द्वारा इन्हें अमल में ला सकता है ।
11/10/2022 06:30 PM