Aligarh
5 दिन के 5 त्योहारों से मिलकर बना हैं दीपावली महापर्व:
अलीगढ़: जिस तरह से 14 साल का बनवास काटने के बाद भगवान श्री राम के अयोध्या लौटने की खुशी में नगर वासियों के द्वारा उनके आने की खुशी में जगह-जगह पर अपनी पलकें झुका खुशी का इजहार करते हुए भगवान श्रीराम के वापस लौटने पर जगह-जगह पर घी के दिए जलाकर दीपोत्सव मनाते हुए खुशियां मनाई गई थी। ठीक उसी तरह अलीगढ़ जिले में भी दीपावली के पर्व को यादगार बनाने के लिए थाना गांधी पार्क क्षेत्र स्थित अचल सरोवर स्थित गिलहराज मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। जबकि अलीगढ़ की शान वर्षों पुराने इस ऐतिहासिक गिलहराज मंदिर परिसर में लाइटों की सजावट के साथ घी के दीपों की सजावट से मंदिर के रूप सज्जा को सजाया जा रहा है। जबकि मंदिर पर पूजा करने को लेकर लोगों का तांता लगना शुरू हो गया और मंदिर के बाहर लोगों की पूजा ओर आरती करने को लेकर एक होड़ सी मची और लंबी-लंबी लाइनें लगी है। जबकि मंदिर के पुजारी का कहना है कि दीपावली का त्यौहार 5 दिन का होता है। इस त्योहार की शुरुआत आयुर्वेद के रचीयता धनवंतरी के जन्मदिन के मौके धनतेरस के साथ होती है जिसके बाद अगले दिन नरक चतुर्दशी इस दिन यमराज के लिए तेल का दीया घर के मुख्य द्वार से बाहर की ओर लगाया जाता है। इसके बाद चतुर्दशी की रात को तेल अथवा तिल के तेल के 14 दीपक अवश्य जलाएं, इससे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है ओर इसको छोटी दीपावली भी कहा जाता है फिर बड़ी दीपावली, गोवर्धन पूजा ओर भैया दूज का त्योहार होता है। पांच दिन के अलग-अलग त्योहारों को मिलाकर एक बड़ा महापर्व बनता है। जिसको भारतवर्ष में दीपावली उत्सव कहा जाता हैं।
जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के थाना गांधी पार्क क्षेत्र के अलीगढ़ कानपुर दिल्ली नेशनल हाईवे स्थित वर्षों पुराने अचल सरोवर ताल स्थित गिलहराज मंदिर परिसर को दीपावली के ऐतिहासिक पर्व पर यादगार बनाने के लिए बिजली की लाइटों के साथ ही घी के दीयों की सजावट से सराबोर करते हुए सजाया गया है। वही दीपावली के मौके पर गिलहलराज मंदिर के पुजारी का कहना है कि दीपावली 5 दिन का त्यौहार होता है, ओर अलग-अलग त्योहारों से मिलकर एक बड़ा महापर्व बनता है,इसको दीपावली उत्सव कहते हैं। उन्होंने बताया कि दिवाली के त्योहार धनतेरस से इसकी शुरुआत होती है और भाई दूज तक ये त्यौहार चलता है। दूसरे दिन नरक चतुर्दशी, तीसरे दिन दिवाली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवें दिन भाई दोज होती है। जबकि धनतेरस से दीपावली उत्सव के त्यौहार की शुरुआत होती है,क्योंकि धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी के जन्मदिवस होता और धनवंतरी आयुर्वेद के रचीयता भी हैं। इसके दूसरे दिन नरक चतुर्दशी होती हैं इस दिन कहा जाता हैं कि एक बुजुर्ग व्यक्ति घर के बाहर यमराज के नाम का एक दीपक जलाता है, जिसको छोटी दीपावली भी कहा जाता है, ओर उसके उपरांत दीपावली का महापर्व होता है,और उसके बात गोवर्धन पूजा और भैया दूज का त्योहार होता। जबकि दीपावली के त्योहार का महत्व बहुत ही विशाल है। इस भगवान श्री राम के 14 वर्ष का वनवास काटने के बाद अयोध्या पहुंचे थे। जहां वनवास काटने के बाद श्री राम के अयोध्या पहुंचने के उपरांत नगर वासियों ने उनके वापस लौटने की खुशी में जगह-जगह हो पर घी के दीप जलाकर दीपोत्सव मनाते हुए जगह-जगह खुशियां मनाई गई थी। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि दीपोत्सव त्यौहार को केवल हिंदू समुदाय के लोग ही नहीं मनाते, बल्कि इस त्यौहार को सिख समुदाय बंदी छोर के रुप में मनाता है, जबकि जैन समुदाय महावीर स्वामी के निर्माण रूप में मनाता है, ओर सभी समुदाय संप्रदाय के लोग भी किसी ना किसी रूप में दीपोत्सव त्योहार को पूरे भारतवर्ष में मनाते हुए आ रहे हैं। इसके साथ ही पांचो दिन अलग-अलग पूजा होती है। जबकि धनतेरस के दिन लोग धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और उनसे सुख-समृद्धि का वरदान पाते हैं।
संवादाता पवन कुमार शर्मा
10/25/2022 02:38 AM


















