Aligarh
AMU टीचर्स एसोसिएशन(अमूटा) के चुनाव को लेकर रार, मनोनीत चुनाव अधिकारी ने कराए अमूटा के इलेक्शन: वीसी ने टाले अब नए सिरे से होंगे चुनाव।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों में है और इस बार मामला है टीचर्स एसोसिएशन के चुनावों को लेकर। यहां पिछले 3 साल से टीचर्स एसोसिएशन के चुनाव नहीं हुए थे। जिस वजह से टीचर्स एसोसिएशन की एग्जीक्यूटिव कमेटी ने एक चुनाव अधिकारी नियुक्त कर पिछले महीने कुछ पदों पर चुनाव करा दिए। जिसमें अध्यक्ष सहित कई लोग निर्विरोध निर्वाचित हुए। इस कमेटी के सदस्य पद पर दो हिंदू प्रोफेसर भी थे। शेष बचे 2 पदों पर आज बैलेट पेपर से चुनाव होना था। लेकिन चुनाव प्रक्रिया नियमानुसार ना होने कि कह कर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तारिक मंसूर ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर कल ही रजिस्ट्रार से एक पत्र जारी करा कर चुनाव टाल दिए। अब जल्द ही चुनाव नए सिरे से होंगे। इसको लेकर अमूटा से जुड़े लोगों में रोष है। अलीगढ़ के सांसद ने भी इस पर हैरानी जताई है और कहा है कि वह इस मामले पर वीसी से बात करेंगे। इस चुनाव में AMU के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था कि जब किसी महिला को अमूटा के अध्यक्ष पद पर चुना गया हो। यानी इतिहास रचने से पहले ही AMU के वाइस चांसलर ने चुनाव टाल दिया। वीसी के इस फैसले से सबको हैरानी है।
दरअसल AMU टीचर्स एसोसिएशन(अमूटा) एक स्वतंत्र बॉडी है। जिसका चुनाव अमूटा की एग्जीक्यूटिव कमेटी ही कराती है। इसमें अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव सहित कार्यकारिणी में कई महत्वपूर्ण पद है। अमूटा के पिछले 3 साल से चुनाव नहीं हुए थे और पिछले सचिव भी चुनाव करवाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे। इसलिए 21 मार्च 2021 को अमूटा की एक्जीक्यूटिव कमेटी ने स्टूडेंट वेलफेयर के डीन प्रोफेसर मुजाहिद बेग को मुख्य चुनाव अधिकारी नामित किया था। उसके बाद संवैधानिक प्रक्रिया के तहत 3 सितंबर से लेकर 15 सितंबर तक चुनाव प्रक्रिया निर्धारित की थी। 12 सितंबर को नामांकन किया गया था और उस में अध्यक्ष पद पर प्रोफेसर इतिहास विभाग की प्रोफेसर चांदनी बी को निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया गया था क्योंकि अकेले उन्होंने ही अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया था। जबकि अन्य लोग एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य चुने गए थे। शेष बचे 2 पद सचिव और संयुक्त सचिव पद पर 15 सितंबर यानी आज चुनाव होना था लेकिन वाइस चांसलर के 1 दिन पहले आए पत्र ने चुनाव प्रक्रिया को बाधित कर दिया। AMU प्रशासन के अनुसार चुनाव नियमानुसार नहीं हुए थे इसलिए वीसी तारिक मंसूर ने अपने विशेषाधिकार धारा 19(2) का इस्तेमाल कर चुनाव प्रक्रिया को 10 अक्टूबर तक टाल दिया और अब नए सिरे से चुनाव होंगे। वीसी ने 4 सदस्य कमेटी भी बनाई है जो 3 दिन के अंदर उनको रिपोर्ट देगी कि किस तरह अमूटा के संविधान के तहत चुनाव कराए जाएं। इसको लेकर मुख्य चुनाव अधिकारी मुजाहिद बेग ने ही वाइस चांसलर तारिक मंसूर पर सवाल खड़े किए है। उन्होंने कहा है कि सारी प्रक्रिया नियम अनुसार की गई थी वाइस चांसलर को कोई अधिकार नहीं है कि वह अमूटा के कार्य में हस्तक्षेप करें या चुनाव अधिकारी नामित करें। जब एक बार चुनाव अधिकारी नामित हो गया तो वीसी को कोई अधिकार नहीं है।
एएमयू के जनसंपर्क विभाग के मेंबर इंचार्ज शाफे किदवई ने कहा कि चुनाव रद्द होने का कारण यह है कि कोविड के कारण 3 साल से चुनाव नहीं हुए थे और चुनाव होना या ना होना यह अमूटा का निर्णय होता है। इस बार उन्होंने फैसला किया। चुनाव अधिकारी भी बनाया था और पूरा प्रोसेस शुरू हुआ लेकिन उस प्रोसेस में कुछ बातें हैं जो प्रक्रिया है। प्रक्रिया यह है कि वोटर लिस्ट आउट होगी और जनरल बॉडी मीटिंग का ऐलान किया जाएगा। यह दोनों में से पिछले जो सचिव इलेक्ट हुए थे व चुनाव अधिकारी में कुछ मतभेद हुए। जिस वजह से वोटर लिस्ट प्रकाशित नहीं हुई, और ना ही जनरल बॉडी की मीटिंग का कोई नोटिस निकला। जो यह प्रक्रिया थी वह विधिवत नहीं हो पाई। क्योंकि स्टाफ एसोसिएशन का कमरा था वहां ताला लगा हुआ था। तो यह नॉमिनेशन वगैरह नहीं हो पाए। इसलिए विधिवत जो होना चाहिए था वह हो नहीं पाए। इसलिए वीसी ने अपने विशेषाधिकार धारा 19(2) के तहत उनको पावर है कि अगर यूनिवर्सिटी में कोई काम नियमानुसार नही हो रहा और वह अगर मुखिया है उसके तो, नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है तो उन्होंने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए स्टाफ एसोसिएशन के कुछ पूर्व सचिव है उनको बुलाया और एक कमेटी बनाई। वह कमेटी अपनी रिपोर्ट देग। 10 अक्टूबर तक प्रोसेस कंप्लीट हो जाएगा। चुनाव प्रक्रिया नियम अनुसार फॉलो नहीं की गई थी इसलिए इसको टाल दिया गया है।
अमूटा के इलेक्शन कराने वाले मुख्य चुनाव अधिकारी प्रो मुजाहिद बेग ने कहा कि 21 मार्च 2021 को अमूटा की एग्जीक्यूटिव कमेटी ने मेरा नाम चीफ इलेक्शन कमिशन के लिए पास किया। मैंने उसकी सहमति दे दी। उसके बाद किसी ना किसी बहाने से जो सचिव थे उसको डिले करते रहे। अल्टीमेटली मैंने 31 अगस्त को एक अपनी मीटिंग बुलाई स्टाफ क्लब मैं और इलेक्शन शेड्यूल जारी कर दिया। 31 अगस्त 2022 को और हम उस प्रोसेस को कंटिन्यू करते चले गए। उसके बाद यह नहीं चाहते थे कि इलेक्शन हो। इन्होंने एक पत्र लिखा मुझे। मैंने जो भी किया है वह अमूटा के संविधान के तहत किया है। मैं खुद अध्यक्ष रहा हूं........ हमने जब नोटिफाई कर दिया तो हमारे पास जवाब आया कि आप डीन स्टूडेंट वेलफेयर हो इसलिए चुनाव नहीं करा सकते। मैंने कहा कि मैं अमूटा का इलेक्शन करवाऊंगा और मैंने डीन स्टूडेंट वेलफेयर के पद से त्यागपत्र दे दिया और अपनी गाड़ी और सिक्योरिटी वापस कर दी। चुनाव की सारी प्रक्रिया अमूटा के संविधान के तहत की गई है। इसमें कहीं पर भी वाइस चांसलर की दखल नहीं है। यह एक स्वतंत्र संस्था है। आज 2 पदों के लिए चुनाव था 11 पदों में से 9 पदों पर पहले ही चुनाव हो चुका था निर्विरोध, 2 पदों के लिए सचिव, संयुक्त सचिव के लिए आज वोटिंग होनी थी और उसको वाइस चांसलर ने 19(2) लगाकर पोस्टपोंड कर दिया। कहीं भी जब इलेक्शन कमिश्नर नियुक्त हो जाता है तो उसके बाद चुनाव प्रक्रिया आवश्यक हो जाती है। वीसी का उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। यह चाहते हैं कि एएमयू में कोई एसोसिएशन ना रहे और सचिव महोदय के साथ उनकी मिलीभगत हैं। चुनाव को टालने का हक भी मुख्य चुनाव अधिकारी यानि मुझे है। वह भी वीसी को नहीं है। AMU के 100 साल के इतिहास में किसी वीसी ने यह नहीं किया जो उन्होंने किया है। जिनको मैंने निर्वाचित कर दिया वह निर्वाचित हो चुके हैं। इनको अधिकार नहीं है कि उनको हटा सके। अब सिर्फ 2 पदों के लिए चुनाव होने हैं। AMU के इतिहास में पहली बार किसी महिला ने हिम्मत की और वह अमूटा की अध्यक्ष बनीं और दो हिंदू एग्जीक्यूटिव कमेटी में इलेक्ट हुए हैं।
हमने इस मामले पर अध्यक्ष चुनी गई इतिहास विभाग की महिला प्रोफेसर चांदनी बी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि वह बीमार है और उन्होंने फोन पर बताया कि उनको किसी तरह का कोई पत्र नही मिला है। वह आज भी अध्यक्ष है क्योंकि उनको नियमानुसार अमूटा के संविधान के तहत उन को अध्यक्ष बनाया गया है। यही बात अन्य दो प्रोफेसर ने कही जो एक्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य के लिए चुने गए थे। यह दोनों ही प्रोफेसर हिंदू हैं जिनमें एक पंकज खराडे हैं और दूसरे योगेश कुमार यादव हैं। इनका कहना है कि उनके पास चुनाव अधिकारी का सर्टिफिकेट है जिसमें उनको सदस्य नियुक्त किया गया है। उनके पास अन्य किसी मामले की जानकारी नहीं है चुनाव टालने से संबंधित। योगेश कुमार यादव आंखों से देख भी नही पाते।
मामले पर अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम ने कहा की देखिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी द्वारा अपना टीचर एसोसिएशन का चुनाव हुआ उसके अंदर जिस तरह से 2 लोगों को चुना गया उसमें वीसी के द्वारा उस चुनाव को निरस्त करना यह दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी के अधिकारों का हनन करना यह कतई शोभा नहीं देता है। मेरी समझ से परे है कि वीसी इन चीजों में क्यों दखल दे रहे हैं। उन्हें जो यूनिवर्सिटी को अच्छी तरह से चलानी चाहिए उस पर ध्यान देना चाहिए कि किस तरह से चले। किस तरह से बच्चे यहां पर अच्छी शिक्षा प्राप्त करें। उस पर अगर वीसी ध्यान देंगे तो अच्छा रहेगा। इन छोटी-छोटी चीजों में अपने को शामिल कर पद की गरिमा घटा रहे हैं। मैं इसका कतई विरोध करता हूं। और वीसी से बात करूंगा कि इस तरह का आदेश देना फतवा जारी करना इस तरह शोभनीय नहीं है। ना यूनिवर्सिटी के लिए ना उन विभाग के लिए जो इस तरह की घोषणा कर दी कि निरस्त कर दिए गए। यह कतई बर्दाश्त से बाहर है। अध्यक्ष एक महिला है और जिस तरीके से महिलाओं को आज देश सम्मान दे रहा है। उसी मानवता के तहत तारिक मंसूर जो वीसी हैं AMU के उनको भी महिलाओं को सम्मान देना चाहिए। इनकी मानसिकता में चेंज आने में टाइम लगेगा। धीरे-धीरे आ रही है। मानसिकता है जिससे पीड़ित है और जिस से 24 घंटे बीमार रहते हैं उस मानसिकता को बदलने में समय लगेगा। अभी तो जिस दिन यूनिवर्सिटी में आरक्षण मिलेगा sc.st.obc के बच्चे पढ़ेंगे उस दिन ऑटोमेटिक इनकी मानसिकता चेंज हो जाएगी। वीसी को भगवान बुद्धि देगा।
09/16/2022 04:44 AM


















