Bhopal
भोपाल। रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन
वर्ल्ड हेपेटाईटिस डे पर विभिन्न कार्यक्रम सम्पन्न हेपेटाईटिस बी होता है अधिक संक्रामक:
भोपाल। रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन
जिले की स्वास्थ्य संस्थाओं में शुक्रवार को हेपटाईटिस बीमारी के प्रति जागरूकता हेतु वर्ल्ड हेपेटाईटिस डे पर कार्यक्रम सम्पन्न हुआ । हेपेटाईटिस बी की बीमारी से महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा हेतु विशेष जांच हेतु शिविरों का आयोजन किया गया । जिला चिकित्सालय, सिविल अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में एच.बी.एस.ए.जी. जांच की गई। हेपेटाईटिस बी पाजिटिव आने पर गर्भवती महिलाओं के सैंपल लेकर वायरल लोड टेस्टिंग के लिए सैंपल भेजे गए हैं। सेण्ट्रल जेल में आज लगाए गए स्क्रीनिंग शिविर में 350 लोगों की जांच की गई।
हेपेटाईटिस हेपेटोट्रॉपिक वायरस के कारण होता है। हेपेटाईटिस 5 प्रकार के होते हैं। हेपेटाईटिस ए, हेपेटाईटिस बी, हेपेटाईटिस सी हेपेटाईटिस डी एवं हेपेटाईटिस ई । लेकिन इनमें हेपेटाईटिस बी अधिक संक्रामक होता है । असुरक्षित इंजेक्शन, संक्रमित ख़ून, गोदना का प्रयोग या नाक अथवा कान को छेदने में संक्रमित सूई के इस्तेमाल, असुरक्षित यौन संबंध, असुरक्षित समलैंगिग संबंध से हेपेटाईटिस का संक्रमण फैल सकता है।
हेपेटाईटिस बी के मरीज़ों में वर्षों तक कोई लक्षण प्रगट नहीं होते हैं। इसलिए समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श अनुसार जांच करवाना बेहद आवश्यक है। हेपेटाईटिस बी होने पर शरीर में दर्द, पीलिया, पेट में पानी भर जाना, लीवर में दर्द होना, खून की उल्टियां होना, भूख ना लगना, पेट में सूजन आना जैसे लक्षण हो सकते हैं। हेपेटाईटिस बी के मरीज़ों का ईलाज जीवन भर चलता है। हर 6 माह में वायरल लोड टेस्टिंग कर यह देखा जाता है कि वायरल लोड और अधिक बढ़ तो नहीं रहा है। गर्भवती महिलाओं से शिशुओं में संक्रमण का खतरा अधिक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि हेपेटाईटिस बी संक्रमित मां से गर्भस्थ शिशु में संक्रमण पहुंचने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं में हेपेटाईटिस बी की जांच की जा रही है। सैंपल में वायरल लोड 20 हज़ार से ज़्यादा मिलने पर लिवर और किडनी फंक्शन के टेस्ट करवाये जाते हैं। एलएफटी और आरएफटी का परिणाम तय मानकों से अधिक होने पर लिवर सिरोसिस की संभावना बढ़ सकती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं का ईलाज तुरंत शुरू किया जाता जिससे कि सिरोसिस और कैंसर के संक्रमण से बचाव किया जा सके। बच्चों को इस संक्रमण से बचाव हेतु जन्म के समय हेपेटाईटिस का टीका लगाया जाता है। साथ ही मां के संक्रमित होने पर बच्चे को एच.बी.आई.जी. वैक्सीन भी लगाई जाती है। केन्द्र सरकार ने इस बीमारी की जांच एवं उपचार हेतु राष्ट्रीय वायरल हेपेटाईटिस कण्ट्रोल कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है । हेपेटाईटिस बी की जांच में 2 से 3 हज़ार का खर्चा आता है। जबकि ईलाज पर भी हज़ारों रूपये खर्च होते हैं। जिसके तहत शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में जांच और उपचार की सुविधा पूरी तरह से निःशुल्क है।
07/29/2022 04:05 PM


















