Delhi
टैरिफ के जवाब में मोदी सरकार का करारा पलटवार: अमेरिका से ₹31,500 करोड़ की बोइंग डील रद्द:
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने दिखाई सख्ती, अमेरिकी रक्षा और एविएशन सेक्टर को लगा बड़ा झटका
नई दिल्ली।
भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में एक बार फिर से तल्खी देखने को मिल रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% आयात टैरिफ लगाए जाने के फैसले के बाद, भारत सरकार ने भी बड़ा और कड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अमेरिका के साथ की जा रही ₹31,500 करोड़ की बोइंग डील को रद्द कर दिया है।
यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब अमेरिकी प्रशासन ने भारत से आयात होने वाले कुछ प्रमुख उत्पादों पर एडिशनल 25% शुल्क लगाने का ऐलान कर दिया है। इसके तहत भारत के टेक्सटाइल, स्टील, ऑटो पार्ट्स, और कुछ इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स पर टैरिफ में भारी बढ़ोतरी की गई है, जिससे भारतीय निर्यातकों पर लागत का बोझ काफी बढ़ गया है।
क्या थी बोइंग डील?
भारत और अमेरिका के बीच यह बोइंग डील ₹31,500 करोड़ की थी, जिसमें भारत को बोइंग के सिविल एविएशन और मिलिट्री एयरक्राफ्ट की एक बड़ी खेप सप्लाई की जानी थी। इस सौदे को भारत की एयरफोर्स और नागरिक उड्डयन क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा था।
लेकिन ट्रंप सरकार द्वारा भारतीय व्यापार पर बढ़ते टैक्स के फैसलों को देखते हुए भारत सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह "व्यापार में एकतरफा नीति नहीं सहेगा।"
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश स्पष्ट:
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि अमेरिका अपने व्यापारिक संबंधों में भारतीय उत्पादों को नुकसान पहुंचाने की नीति अपनाएगा, तो भारत भी इसके प्रतिकार में समान रूप से सख्त कदम उठाएगा।
भारत सरकार का मानना है कि यह बोइंग डील रद्द कर के अमेरिकी कंपनियों को आर्थिक झटका दिया जा सकता है और साथ ही वैश्विक मंच पर यह संकेत भी दिया जा सकता है कि भारत अब "कठोर फैसलों से पीछे नहीं हटेगा।"
टैरिफ बढ़ने के बाद देश के कई औद्योगिक संगठनों और एक्सपोर्ट एसोसिएशन्स ने मोदी सरकार से अमेरिका को करारा जवाब देने की मांग की थी। भारतीय टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग गुड्स और स्मॉल स्केल इंडस्ट्री सेक्टर को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है।
इन संगठनों का कहना था कि अमेरिका लगातार "प्रोटेक्शनिस्ट" नीति अपना रहा है, जिससे भारत जैसे विकासशील देशों के लिए वैश्विक व्यापार असंतुलित होता जा रहा है।
अमेरिका को कितना लगेगा झटका?
विशेषज्ञों के अनुसार भारत द्वारा बोइंग डील रद्द करने का असर केवल कंपनी तक सीमित नहीं रहेगा। यह अमेरिका के लिए एक राजनीतिक और आर्थिक संकेत भी है कि भारत अब केवल 'रणनीतिक साझेदार' नहीं, बल्कि 'आत्मनिर्भर हितों' की रक्षा करने वाला देश है।
इसके साथ ही यह फैसला अमेरिका के अन्य सहयोगी देशों को भी सोचने पर मजबूर कर सकता है कि बड़े बाजारों के साथ व्यापारिक अहंकार का व्यवहार कितना महंगा पड़ सकता है।
भविष्य की रणनीति क्या हो सकती है?
सूत्रों के अनुसार, भारत अब बोइंग जैसी डील्स को यूरोपीय, रूसी या घरेलू विकल्पों की ओर मोड़ने की योजना बना सकता है। "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" अभियानों के तहत भारत सरकार स्वदेशी एविएशन और डिफेंस कंपनियों को प्राथमिकता देने की रणनीति बना रही है।
भारत-अमेरिका व्यापार युद्ध एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है। डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ हमले का जवाब पीएम मोदी ने आर्थिक स्तर पर दिया है, न कि केवल शब्दों में। अब यह देखना होगा कि व्हाइट हाउस से अगला कदम क्या आता है और क्या अमेरिका इस झटके के बाद अपने फैसलों पर पुनर्विचार करेगा।
रिपोर्ट: एक्सपोज़्ड न्यूज़ टीम
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08/07/2025 05:25 AM