India
जरूरतमंदों की सहायता कर मनाएं दीपावली पर्व।:
अंबाह। दीपावली शब्द 'दीप' यानी दीपक और 'आवली' पंक्ति से मिलकर बना है। इसका अर्थ होता है 'दीपों की पंक्ति'। इसका वैदिक प्रार्थना है- 'तमसो मा ज्योतिर्गमय:' मतलब अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला पर्व। जरूरतमंद असहाय लोगो की सहायता कर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाएं, यही असली दीपावली है। प्राचीनकाल में इसे दीपोत्सव के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है दीपों का उत्सव। हालांकि आज भी लोग दीपोत्सव के रूप में दिवाली को जानते हैं। लेकिन आम बोलचाल की भाषा में ज्यादातर दिवाली या दीपावली का प्रयोग किया जाता है। हमारे समाज में ऐसे बहुत से अभाव-ग्रस्त लोग हैं, जिनके लिए यह रोशनी शायद कोई मायने नहीं रखती। ऐसे व्यथित लोगों की जिन्दगी में उजाला भरने की एक कोशिश हमें जरुर करनी चाहिए। दिवाली की खुशियां आप जैसे मनाते हैं मनाएं, पर इस त्यौहार की खुशियां दूसरों में भी जरूर बांटें। अपने हृदय में मानव सेवा का भाव उदित करना ही इस पर्व की असली सार्थकता है। गरीब बच्चों की पढ़ाई करवाना, बेसहारा मरीजों का इलाज करवाना, गरीब बेटियों की शादियां करवा देना, असहाय और नि:शक्त लोगों के लिए मकान बनवाकर देना, अभावग्रस्त लोगों के लिए फूड-बैंक और क्लॉथ-बैंक का प्रबंध करना, रोजगार देना जैसे कार्य इस दीपावली से ही प्रारंभ करें।क्योंकि किसी बेसहारा की मदद कर देने में जिस आत्मसुकून की अनुभूति होती है, वह अतुलनीय है।हम सभी इस रोशनी के पर्व पर अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करके मनाएं! न जाने कितने ही लोग दीपावली के दिन भी अंधेरे की जिंदगी बसर कर रहे होंगे, न जाने कितने ही बच्चे दीपावली के दिन भी भूख से तड़पते हुए सो जाएंगे। आईए इनकी अंधेरी जिन्दगी में भी एक दीप जलाएं।
✍🏻 सौरभ जैन मुरैना रोड अंबाह
10/20/2022 08:02 AM