क्षमावाणी 'सबको क्षमा, सबसे क्षमा', यही सिखाता है यह पर्व:
ग्वालियर। जैन समाज के पर्वाधिराज 'पर्युषण पर्व' समाप्त हो गए हैं और रविवार, 11 सितंबर को क्षमावाणी का पावन पर्व महावीर गंज मुरार मे परम पूज्य गुरुदेव सराकोद्धारक, षष्टम पट्टाचार्य समाधिस्थ 108 ज्ञानसागर महाराज की अंतिम दीक्षित परम प्रभावक शिष्या, युवा प्रणेता, वात्सल्यमयी, वन्दनीय, गणिनी आर्यिकारत्न 105 आर्षमती माताजी ससंघ (4 पिच्छी) के सानिध्य में मनाया गया। जिसमें मुख्य अतिथि विधायक सतीश सिकरवार, ग्वालियर महापौर शोभा सिकरवार और विशिष्ट अतिथि मुन्नालाल गोयल, पारस जैन थे। सर्वप्रथम पारस जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस बार ग्वालियर में 6 जगह साधु संतों का चतुर्मास होने का अवसर मिला है, ऐसे में पर्यूषण पर्व पर अपनी आत्मा को शुद्ध करते हुए क्षमावाणी पर्व पर मैं सभी लोगों से जाने अनजाने में जो गलती हुई है उसके लिए क्षमा चाहता हूं। पूर्व विधायक मुन्ना लाल गोयल ने कहां कि मेरा इसी मुरार की भूमि से हमेशा से जुड़ाव रहा है , एक दिन सभी को 3 बाय 6 पर जाना है, तो फिर क्यों किसी से बैर भाव रखो, मेरे वचन वचन काया से जो भी कुछ कहा गया है उसके लिए क्षमा चाहता हूं । वहीं विधायक सतीश सिकरवार ने अपने उद्बोधन में कहा कि जैन धर्म पूर्णतः वैज्ञानिक धर्म है। अगर जैन धर्म के सिद्धांत सभी लोग मानने लगे तो आधे से ज्यादा सारी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाए। ऐसी परम पावन क्षमावाणी पर्व पर मेरे से जो भी गलती हुई हो उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं। सौरभ जैन अंबाह वाले ने बातचीत के दौरान बताया कि जैन धर्म की परंपरा के अनुसार पर्यूषण दसलक्षण पर्व के बाद क्षमावाणी दिवस पर सभी एक-दूसरे से उत्तम क्षमाभाव 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहकर क्षमा मांगते हैं और कहते है कि अगर मैंने जाने अनजाने में आपको जो भी दुःख दिए हैं, उसके लिए हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना करते हैं। जैन धर्म में 'मिच्छामी' का अर्थ क्षमा और दुक्कड़म का अर्थ गलतियों से है। जैन धर्म के अनुसार क्षमावाणी पर्व पर साल भर से दिल में भरी कड़वाहट और जहर को साफ़ कर लेना चाहिए। क्षमा पर्व पर छोटे हो या बड़े सभी एक दूसरे से क्षमा मांगकर अपनी आत्मा की शुद्धि करते हैं। आर्षमति माताजी ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि क्षमावाणी पर्व, जो राग-द्वेष, अहंकार से भरे इस संसार में अपने-अपने हितों और अहंकारों की गठरी को दूर करने का मौका हमें देता है। हम न जाने कितने अहंकार को सिर पर उठाए कहां-कहां फिरते रहते हैं और न जाने किस-किस से टकराते फिरते हैं। इसमें हम कई लोगों के दिलों को जाने-अनजाने में ठेस पहुंचाते हैं। कभी-कभी तो हम खुद की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाते हैं।उसके लिए हमे सभी जीव जंतुओं से क्षमा भाव की याचना करनी चाहिए।पर्वराज पयूर्षण के समापन पर क्षमावाणी पर्व पर रविवार को जैन समाज द्वारा कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। लोगों ने एक दूसरे से क्षमा मांगकर उत्तम क्षमा वाणी पर्व भी मनाया।जैन युवा सेवा मंडल द्वारा सभी लोगो के स्वादिष्ट भोजन की समुचित व्यवस्था की गई ।
09/13/2022 06:30 AM