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रशिया-यूक्रेन वॉर: रूस का यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा लगभग तय: अमेरिका को छोड़ रूस के साथ कौन-कौन से देश खड़े हैं।
मॉस्को। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हो चुका है रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो तो कह रहे हैं कि अमेरिका NATO का विस्तार रोके तभी का तनाव कम हो सकता है पुतिन ने यह भी शर्त रखी कि अमेरिका गारंटी देगी यूक्रेन नैटो मैं शामिल नहीं होगा।
पुतिन को लगता है कि यूक्रेन नेटो में शामिल होगा तो वह रूस की सुरक्षा के लिए खतरा है, मध्य और पूर्वी यूरोप में रोमानिया, बुल्गारिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, लात्विया, एस्टोनिया और लिथुआनिया भी 2004 में नेताओं में शामिल हो गए थे।
क्रोएशिया और अल्बानिया भी 2009 में शामिल हो गए थे जॉर्जिया और यूक्रेन को भी 2008 में सदस्यता मिलने वाली थी लेकिन दोनों अब भी बाहर है।
कुछ जानकार मानते हैं कि पुतिन ने यूक्रेन संकट के बहाने अमेरिका के नेतृत्व वाली एक ध्रुवीय दुनिया को चुनौती दे दी है कहा जा रहा है कि अब दुनिया फिर से दो ध्रुवीय हो रही है और अमेरिका को चीन के साथ से भी चुनौती मिल रही है।
लेकिन दुनिया ध्रुवीय तभी होगी जब बाकी के देश में अमेरिका और उसके साथ लामबंद होंगे, जैसा शीत युद्ध के दौरान हुआ था, अमेरिका के साथ नैटो में शामिल सभी 30 देश तो है एशिया की अहम शक्ति जापान के अलावा ऑस्ट्रेलिया भी उसके साथ है लेकिन रूस के साथ कौन-कौन से देश हैं?
रूस के साथ कौन-कौन से देश हैं आइए उसको जानने की कोशिश करें, सबसे पहले बात चीन की, चीन भी रूस की तरह नैटो का विस्तार नहीं चाहता है, यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक हुई तो चीन ने बातचीत जारी रखने की अपील की थी।
संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत जांग जुन ने कहा कि उनका देश चाहता है कि सभी पक्ष आपस में बातचीत और सलाह मशवरा जारी रखें।
चीन ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत सभी देश शांतिपूर्ण माध्यमों से अंतरराष्ट्रीय विवादों का हल निकाले।
पिछले दिनों चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की थी कि वह नए शीत युद्ध की किसी की कोशिश को सफल ना होने दें।
यह भी कहा जा रहा है कि रूस पर पश्चिमी देशों का प्रतिबंध बन रहा है ऐसे मैं चीन ही उसे मदद करेगा अभी अमेरिका को विश्व राजनीति के कई मुद्दों पर चीन और रूस साथ मिलकर चुनौती दे रहे हैं।
अब भारत की बात करें तो भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है और एशिया की तीसरी सबसे बड़ी कहा जा रहा है कि भारत के लिए रूस या अमेरिका में से किसी का भी खुलकर पक्ष लेना मुश्किल है भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद मैं जो कुछ भी कहा उसमें ना तो रूस की निंदा की गई और ना ही यूक्रेन की सम्पूर्णता की बात की थी, हालांकि भारत ने यह भी कहा कि समस्या का समाधान कूटनीतिक वार्ता के जरिए ही संभव है लेकिन ऐतिहासिक रूप से भारत का रुक रोज के पक्ष मैं झुका रहा है, 2014 में रूस ने जब यूक्रेन से क्राइमिया को अपने में मिला लिया था तब भी भारत में इसका विरोध नहीं किया था।
लेकिन भारत के लिए अब गुटनिरपेक्ष रहना इतना आसान नहीं है, 9 महीने तक चलते हैं क्रोएशिया की तरफ क्रोएशिया साल 2009 में नेटो में शामिल हो गया था लेकिन यूक्रेन संकट पर क्रोएशिया के अधिकारिक बयान की तरह नहीं है क्रोएशिया के राष्ट्रपति जोरान मिलानोविक ने पिछले महीने कहा था कि रूस के साथ संघर्ष छिड़ता है तो यूक्रेन से अपनी सेना को वापस बुला लेगा, हालांकि पुतिन ने जब यूक्रेन के दो अलगाववादी इलाकों स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में मान्यता दी तो क्रोएशिया ने इसकी निंदा की अजरबैजान की बात करें तो अजरबैजान के राष्ट्रपति भी रूस के दौरे पर हैं उन्होंने इस दौरे पर एलाइड डिक्लेरेशन पर हस्ताक्षर भी किए अजरबैजान के राष्ट्रपति का यह डोरा उस संदेश के तौर पर देखा जा रहा है कि रोज को लेकर उसके मन में कोई भी दुविधा नहीं है आखिर में बात की जाए पाकिस्तान की तो इस बेहद नाजुक पल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान रूस के दौरे पर हैं इस दौरे को इस रूप में भी देखा जाएगा कि युद्ध के दौरान पाकिस्तान जिस अमेरिकी खेमे मैं था उससे अब दूर हो रहा है इमरान खान के दौरे के समय को भी काफी है माना जा रहा है विश्लेषकों का मानना है की एक से एक संकेत जाएगा पाकिस्तान अपना पक्ष सुन रहा है और वह अमेरिका और पश्चिम विरोधी खेमे का हिस्सा बन रहा है।
02/24/2022 07:56 PM